Friday, September 15, 2017

तो बेशर्मी होगी

अगर छुपी बैठी हो
शर्म की चादर लपेट कर ।

और झिझक रही हो यह सोच कर
बात करोगी
तो बेशर्मी होगी ।

अलफ़ाज़ जो बह गए
उम्मीद के इंतज़ार मे

उनको सन्नाटों में
डूबने से न बचाया
तो बेशर्मी होगी ।

नज़रें जो उठी नहीं
इशारों के बहकाने से

उनको आगोश में
ना सुलाया
तो बेशर्मी होगी ।

हाथ जो कांपते हैं
छूने की याद में तन्हा

उनको तन्हाई मे
गले ना लगाया
तो बेशर्मी होगी ।

Murky

the sky sings in drops
of dripping pain,
come, get wet with me
in this boisterous rain.

the ground coughs in fits
of squelching mud,
come, get murky with me
in desire's sultry crud.

the skin murmurs in fatigue
of ceaseless want,
come, get in with me
for a dark, lusty jaunt.

the mind mad in quiet
of revolting cries,
come, get down with me
in a valley of muffled sighs.